Friday, July 11, 2014

दिल और रिश्ते

घर

कपड़ों को साफ़ रखने वालो

दिल को भी साफ़ रखा करो

हम तो तुम्हारी सफाई पर मिटे थे

पता नहीं था गंदगी

मन में छुपा कर रखी है

घरो में चमकती तस्वीरे लटकाने वालो

दिलों में छुपी कटारे बहार निकालो

मन साफ़ हो तो

कपड़ो की चमक कौन देखता है

दिल अगर सच्चा हो तो

घरो को कौन देखता है

ज़माने का चलन बदल गया है माना

चमक दमक का दौर आ गया है

मन को देखने से पहले अब

चेहरा देखते हैं सब

लेकिन याद रख लो बदलने वालो

कभी मन सच्चे होते थे

तब रिश्ते चमक से नहीं

मन से पक्के होते थे

कपड़ो को तब कोई  नहीं देखता था

बस मन की सच्चाई को देखा जाता था

तब घर छोटे पर रिश्ते सच्चे होते थे 

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