घर
कपड़ों को साफ़ रखने वालो
दिल को भी साफ़ रखा करो
हम तो तुम्हारी सफाई पर मिटे थे
पता नहीं था गंदगी
मन में छुपा कर रखी है
घरो में चमकती तस्वीरे लटकाने वालो
दिलों में छुपी कटारे बहार निकालो
मन साफ़ हो तो
कपड़ो की चमक कौन देखता है
दिल अगर सच्चा हो तो
घरो को कौन देखता है
ज़माने का चलन बदल गया है माना
चमक दमक का दौर आ गया है
मन को देखने से पहले अब
चेहरा देखते हैं सब
लेकिन याद रख लो बदलने वालो
कभी मन सच्चे होते थे
तब रिश्ते चमक से नहीं
मन से पक्के होते थे
कपड़ो को तब कोई नहीं देखता था
बस मन की सच्चाई को देखा जाता था
तब घर छोटे पर रिश्ते सच्चे होते थे |
ब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, ज़ोहरा सहगल - 'दा ग्रांड ओल्ड लेडी ऑफ बॉलीवुड' - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत सुन्दर ! बधाई स्वीकार करें...|
ReplyDeleteआभार समजय जी
Deleteसुन्दर भाव.... समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है
ReplyDeleteआभार मोनिका जी
DeleteBadhai ....sundar rachna.
ReplyDelete