Monday, September 30, 2013

औरत हूँ कमज़ोर नहीं

मेहंदी

आज फिर इक उम्मीद जागी

और रचा ली फिर मेहंदी तेरे नाम की

अब मत फीका पड़ने देना इसका रंग

नहीं तो सब उम्मीदें फिर से मर जाएँगी

जब भी विश्वास किया तुझ पर

तुने हर बार तोडा है उसे

इस बार लाज रख लेना मेरे विश्वास की

वरना अब तो भगवान् से भी उठ जायेगा ये विश्वास

तुम मर्दों को सब माफ़ क्यों होता है

जितनी बार मर्ज़ी दिल तोड़ो किसी का

फिर से आकर बहला लो प्यार से

अगर कभी मैंने तोडा ना तुम्हारा दिल

तुम तब जी नहीं पाओगे

तब जानोगे की प्यार में धोखा क्या होता है

औरत हूँ  कमज़ोर नहीं इतना जान लेना

अब नहीं माफ़ कर पाउंगी तुम्हे

अब मैंने भी आंसू पुंछ दिए सब

अब मैंने भी जीना सीख लिया है

बहुत प्यार किया और विश्वास भी

हर बार माफ़ किया तुम्हारा हर गुनाह मैंने

अब नहीं सह पाउंगी इक गलती भी तुम्हारी

अगर तुम मर्द हो तो

मैं भी हूँ अब आज की नारी

याद रख लेना अब

औरत हूँ कमज़ोर नहीं

 

20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
    अगर कभी मैंने तोड़ा ना तुम्हारा दिल
    तुम तब जी नहीं पाओगे
    तब जानोगे की प्यार में धोखा क्या होता है
    औरत हूँ कमज़ोर नहीं इतना जान लेना
    अब नहीं माफ़ कर पाउंगी तुम्हे

    बुधवार 02/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार यशोदा जी ....जरुर देखूंगी

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  2. bahut sahi kaha aap ne ..aurat hun kamjor nahi

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  3. हार्दिक आभार दर्शन जी

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  4. बहुत सुन्दर पंक्तिया .... आपकी इस रचना को हिंदी ब्लोग्गेर्स चौपाल पर शामिल किया गया हैं http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/"> {शुक्रवार} 4/10/2013

    कृपया अवलोकनार्थ पधारे .....धन्यवाद

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  5. आदरणीया, यह तो शाश्वत सत्य है कि औरत कमजोर नही है और जिसने जब जब औरत को कमजोर समझने की भूल कि है उसका पतन हुआ है चाहे वो दुर्योधन हो या रावण । एक बात और कहना चाहूँगा कि पुरूष के उत्थान का कारण भी स्त्री का ही एक रूप होता है लेकिन इतना होते हुए भी उसे सहना पड़ता है क्योंकि ईश्वर ने उसे अन्यों से महान बना कर मॉफ करने की शक्ति दी है।

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    1. हार्दिक आभार दुर्गा प्रसाद जी

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ...
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  7. गजब कि पंक्तियाँ हैं ...

    बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

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  8. हार्दिक आभार राजीव जी

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