इक बिटिया देता अगर भगवान मुझे
क्या कम हो जाता उसके दरबार में
सुना था बहु भी बिटिया होती है
लेकिन ये बाते हैं सिर्फ दिखावे की शायद
अगर ऐसा होता तो बेटे माँ से जुदा न होते
और माँ कभी बेटी के लिये न रोती
अब जो है उसी में खुश रहना है
किसी को नही कुछ भी कहना है
अगर किस्मत अच्छी होती तो
मेरी भी इक बेटी होती
काश मेरी भी बेटी होती
जो मेरा दर्द समझती
परायी हो कर भी मेरी अपनी होती
काश.........
ये काश मेरे साथ भी है सखी , आंसू आ गए
ReplyDeleteआभार उपासना सखी... जानती हूँ ...
Deleteआभार यशोदा जी....
ReplyDeleteआभार कालीपद प्रसाद जी ..... अवश्य
ReplyDeleteआभार दर्शन जी
ReplyDeleteकाश!! मेरी भी इक बिटिया होती ....
ReplyDeleteदिल को छू गई आप की रचना ....बहुत मार्मिक
आभार मीना
Deletebahut sundar rachna .............bitiya ki ma hona yani apni prchhai dekhna .........
ReplyDeleteआभार संध्या तिवारी जी ...
Deleteपलो का सुख
ReplyDeleteहूँ कमाती जहां में
न दिया खुदा
~~
दुनिया कहे
ये है पीर पराई
तू क्या समझे
~~
समय गवां
तौ हिम्मत जुटाई
कहने आई
~~
बेटी दिवस की शुभ कामनाएँ
आभार विभा जी
Deleteहृदय स्पर्शी रचना । ये कमी बहुत खलती है ।
ReplyDeleteमेरी रचना:- चलो अवध का धाम
आभार प्रदीप जी
Deleteआपके ब्लॉग को यहाँ शामिल किया गया है । जरुर पधारें और फोलो कर उत्साह बढ़ाएं । ब्लॉग"दीप"
ReplyDeleteअवश्य प्रदीप जी ...आभार
Deleteअच्छी सच्ची रचना ,सखी। जिसकी कमी है वह तो रहेगी ही ,चाहे बेटा हो या बेटी। टेलर मेड तो कोई भी रिश्ता नहीं होता है ,सभी में कुछ एडजस्टमेंट करनी ही पड़ती है।
ReplyDeleteसही कहा रीता सखी... आभार
Delete