मेहंदी
आज फिर इक उम्मीद जागी
और रचा ली फिर मेहंदी तेरे नाम की
अब मत फीका पड़ने देना इसका रंग
नहीं तो सब उम्मीदें फिर से मर जाएँगी
जब भी विश्वास किया तुझ पर
तुने हर बार तोडा है उसे
इस बार लाज रख लेना मेरे विश्वास की
वरना अब तो भगवान् से भी उठ जायेगा ये विश्वास
तुम मर्दों को सब माफ़ क्यों होता है
जितनी बार मर्ज़ी दिल तोड़ो किसी का
फिर से आकर बहला लो प्यार से
अगर कभी मैंने तोडा ना तुम्हारा दिल
तुम तब जी नहीं पाओगे
तब जानोगे की प्यार में धोखा क्या होता है
औरत हूँ कमज़ोर नहीं इतना जान लेना
अब नहीं माफ़ कर पाउंगी तुम्हे
अब मैंने भी आंसू पुंछ दिए सब
अब मैंने भी जीना सीख लिया है
बहुत प्यार किया और विश्वास भी
हर बार माफ़ किया तुम्हारा हर गुनाह मैंने
अब नहीं सह पाउंगी इक गलती भी तुम्हारी
अगर तुम मर्द हो तो
मैं भी हूँ अब आज की नारी
याद रख लेना अब
औरत हूँ कमज़ोर नहीं
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आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
ReplyDeleteअगर कभी मैंने तोड़ा ना तुम्हारा दिल
तुम तब जी नहीं पाओगे
तब जानोगे की प्यार में धोखा क्या होता है
औरत हूँ कमज़ोर नहीं इतना जान लेना
अब नहीं माफ़ कर पाउंगी तुम्हे
बुधवार 02/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
हार्दिक आभार यशोदा जी ....जरुर देखूंगी
Deletebahut sahi kaha aap ne ..aurat hun kamjor nahi
ReplyDeleteआभार मीना
Deleteहार्दिक आभार दर्शन जी
ReplyDeleteवाह ..
ReplyDeleteआभार सतीश जी
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteआभार कालीपद जी
Deleteबहुत सुन्दर पंक्तिया .... आपकी इस रचना को हिंदी ब्लोग्गेर्स चौपाल पर शामिल किया गया हैं http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/"> {शुक्रवार} 4/10/2013
ReplyDeleteकृपया अवलोकनार्थ पधारे .....धन्यवाद
हार्दिक आभार नीलिमा ...
Deleteआदरणीया, यह तो शाश्वत सत्य है कि औरत कमजोर नही है और जिसने जब जब औरत को कमजोर समझने की भूल कि है उसका पतन हुआ है चाहे वो दुर्योधन हो या रावण । एक बात और कहना चाहूँगा कि पुरूष के उत्थान का कारण भी स्त्री का ही एक रूप होता है लेकिन इतना होते हुए भी उसे सहना पड़ता है क्योंकि ईश्वर ने उसे अन्यों से महान बना कर मॉफ करने की शक्ति दी है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार दुर्गा प्रसाद जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ...
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
हार्दिक आभार उपासना सखी
Deleteगजब कि पंक्तियाँ हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
हार्दिक आभार संजय जी
Deletesundar rachna.......
ReplyDeleteआभार मुकेश जी ..
Deleteहार्दिक आभार राजीव जी
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