Sunday, September 22, 2013

काश बेटी होती


      इक बिटिया देता अगर भगवान मुझे

     क्या कम हो जाता उसके दरबार में

     सुना था बहु भी बिटिया होती है

     लेकिन ये बाते हैं सिर्फ दिखावे की शायद

     अगर ऐसा होता तो बेटे माँ से जुदा न होते

     और माँ कभी बेटी के लिये न रोती

    अब जो है उसी में खुश रहना है

    किसी को नही कुछ भी कहना है

    अगर किस्मत अच्छी होती तो

    मेरी भी इक बेटी होती

   काश मेरी भी बेटी होती

   जो मेरा दर्द समझती

    परायी हो कर भी मेरी अपनी होती

    काश.........

17 comments:

  1. ये काश मेरे साथ भी है सखी , आंसू आ गए

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    1. आभार उपासना सखी... जानती हूँ ...

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  2. आभार कालीपद प्रसाद जी ..... अवश्य

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  3. काश!! मेरी भी इक बिटिया होती ....

    दिल को छू गई आप की रचना ....बहुत मार्मिक

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  4. bahut sundar rachna .............bitiya ki ma hona yani apni prchhai dekhna .........

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  5. पलो का सुख
    हूँ कमाती जहां में
    न दिया खुदा
    ~~
    दुनिया कहे
    ये है पीर पराई
    तू क्या समझे
    ~~
    समय गवां
    तौ हिम्मत जुटाई
    कहने आई
    ~~
    बेटी दिवस की शुभ कामनाएँ

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  6. हृदय स्पर्शी रचना । ये कमी बहुत खलती है ।

    मेरी रचना:- चलो अवध का धाम

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  7. आपके ब्लॉग को यहाँ शामिल किया गया है । जरुर पधारें और फोलो कर उत्साह बढ़ाएं । ब्लॉग"दीप"

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  8. अच्छी सच्ची रचना ,सखी। जिसकी कमी है वह तो रहेगी ही ,चाहे बेटा हो या बेटी। टेलर मेड तो कोई भी रिश्ता नहीं होता है ,सभी में कुछ एडजस्टमेंट करनी ही पड़ती है।

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