Sunday, May 19, 2013

बेपर्दा




हर पल इक सदी बन गया मेरे इंतजार का

राह देखते देखते बुत गया इस शरीर का

वादा था तेरा जल्दी आने का

अगर इसी को जल्दी कहते हैं तो 

देरी कैसी होगी तेरी

वक्त गुजरता जाता है

आस टूटती जाती है

लेकिन मैं नही टूटनेवाली 

ये याद रखना

जब भी कभी याद आएगी मेरी

मुझे अपने दिल में ही पाओगे तुम

मेरे पल मेरी सदियाँ बस मेरी हैं

इनमें बस कभी मत झांकना

मुझे अपने दर्द को बेपर्दा होना 

बहुत दर्द दे जाएगा


9 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 22/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. आभार यशोदा जी... जरूर देखूंगी

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  2. सुन्दर रचना. जब तक विश्वास अडिग हो कुछ भी नामुमकिन नहीं.

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  3. wah sundar rachna...isay kehte hain pyar aur vishwash

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  4. वाह...
    बहुत सुन्दर!!!

    अनु

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