अकेला
अब कोई साथी नहीं
कोई राह नहीं
कोई मंजिल नहीं
एकदम तनहा हूँ
लेकिन गम नहीं
हिम्मत अब भी है
ताकत अब भी है
होंसला अब भी है
मिल जाएगी मंजिल भी
तनहा हूँ तो
कोई भटकानेवाला भी नहीं
बस चलना है
खुद रास्ता ढूँढना है
दुसरो को भी दिखाना है
अकेले से मेला बनाना है
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वाह रमा जी वाह बहुत ही सुन्दर चित्र को सुन्दरता से परिभाषित करने के साथ साथ सुन्दरता से प्रस्तुत भी किया है आपने, हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteआभार अरुण जी ....
DeleteBahut hi achchi rachna.....Rama badhai aapko
ReplyDeleteआभार शांति जी ....
Deleteशुभम
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (27-05-2013) के :चर्चा मंच 1257: पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
आभार सरिता जी ,मै जरुर आउंगी
Deleteakele hain to kya gam hai .......bahut sundar
ReplyDeleteआभार उपासना सखी
Deleteहिम्मत
ReplyDeleteभी है अब
और...
अब भी है
ताकत
रह सकते हैं अकेले.....
सुन्दर रचना
सादर
आभार यशोदा जी ..
Deleteआपकी यह रचना कल सोमवार (27 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी ,मै अवश्य आउंगी ...
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजब तक हौसला हो सब कुछ साथ है. सुन्दर रचना.
Deleteआभार निहार जी
Deleteआभार निरंजन जी
Deletesundar rachna
ReplyDeleteआभार अज़ीज़ जी
Deleteहौसला बना रहे मेला भी लग जाएगा ।
ReplyDeleteआभार संगीता जी
Deleteमेला तो लगेगा ही ..आपमें हौसला जो है ...सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार डा आशुतोष जी
Deleteबेहतरीन....
ReplyDeleteआभार प्रशांत जी
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