Wednesday, August 22, 2012

भंवर

अकेली


मुझे छोड़ अकेली कहाँ गये

वादा था साथ निभाने का

शायद वो भूल गये

कहाँ ढूँढू कोई किनारा नज़र नहीं आता

क्या बीच मझधार छोड़ गये

ऐसे तो न थे वो

फिर अकेली क्यों छोड़ गये

क्यों सो गयी मै विश्वास करके

अब कौन आएगा पार लगाने

शायद भंवर ही थे किस्मत में

इसीलिए  बीच भंवर में छोड़ गये 

2 comments:

  1. Very well written. Your imagination fuels a lot of thoughts and they take us all very close to the realities of our lives.

    ReplyDelete