Monday, August 20, 2012

अंतिम इच्छा

माँ


आज इस बिस्तर पर लेटे लेटे सारी जिंदगी एक चलचित्र की तरह आँखों के आगे से घूम गयी ,कितनी अच्छी जिंदगी दी मुझे भगवान ने ,बचपन भी प्यार से भरपूर था और शादी भी कितने अच्छे परिवार में हुई ,कितनी अच्छी सासू माँ और पिता स्वरूप ससुर ,सब मिला मुझे जिंदगी में ,और इन्होने और बच्चों ने बाकि की कमी भी पूरी कर दी ,मेरे बिना बोले ये सब समझ जाते ,कभी कुछ मांगने की जरूरत ही नहीं हुई ,शायद मेरी शक्ल को पड़ना आता था इन्हें
बुलबुल और मुन्ना के जनम के बाद तो समय पंख लगा कर उड़ता गया ,मै तो बच्चों के प्यार और देख रेख में इन्हें भी भूल गयी लेकिन इन्होने कभी शिकायत नहीं की बस मुस्कुरा कर चश्मा लगाते और अपने समाचार पत्र में घुस जाते ,मै ही दौड़ती रहती बच्चों के पीछे पीछे ,बस जिंदगी तो यहीं सिमट  गयी थी मेरी और किसी बात का कभी ख्याल ही नहीं आया मन में और अनजाने में इनकी जरूरतों को भी भूलती गयी ,आज इस शय्या पर लेटे हुए सब ख्याल आ रहा है ,इन्हें तो बच्चों की किसी भी आदत या जरूरत का नहीं पता तो मेरे ना रहने पर कैसे संभालेंगे उन्हें ,बुलबुल को ज्यादा दूध  वाली चाय पसंद है और मुन्ना को बोर्नविटा वाला दूध ,और कितनी ही बाते ,कैसे करेंगे ये सब ,और बच्चे उनका क्या हाल होगा मेरे बिना ,वो दोनों तो एक पल भी नहीं रहते मेरे बिना और उनकी हर जरूरत मुझ से पूरी होती है ,इतने बड़े हो गये हैं लेकिन दोनों बिलकुल छोटे बच्चो की तरह हैं ,है भगवान मेरी अंतिम इच्छा सुन ले ,मुझे जिंदगी दे दे  ताकि मै अपनी इस छोटी सी बघिया को संभाल सकू ,इन्हें अपने बिना जीना सिखा सकू ,बस इतना समय दे दे भगवान ,डाक्टर की मत सुनना जो मेरी मौत का एलान कर गया है की बस मेरे पास अब समय नहीं है ,तुम मेरी सुनना भगवन ,मेरी अंतिम इच्छा को मत ठुकराना 

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