पंखा
नानी के हाथ का बुना ये हाथ पंखा
अब नाम भी भूल गया
बस याद रह गयी
बच्चे हैरान हैं इसे देख कर
क्या इससे भी हवा आती है
हंसी आ गयी होठों पर
जिन बच्चों ने कूलर और ए सी देखें हो
उनकी हैरानी जायज़ है
वो क्या जाने पेड़ों की छांव
और ये हाथपंखा
सब का इकठे हो बैठना चारपाइयो पर
हर घर जैसे एक दूसरे से जुडा हो
यहाँ तो पडोसी कौन है पता नहीं
कहाँ गये वो दिन
वो चारपाईयां और हाथ पंखे
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Dil ko chhu gya........bahut hi hridyasparshi.....
ReplyDeleteWakai hi kaha gya wo haathpankha.......