Thursday, December 31, 2015

नये साल की कसम




पल पल कर साल गुजर जाते हैं
हम हर साल नये साल का स्वागत करते हैं
पुराने साल की गलतियों को भूल
नये साल में फिर वो ही दोहराते हैं
फिर वो ही दुख दर्द से गुजरते हैं
कुछ खुशियाँ भी बटोर लेते बैं
हर साल नये साल को 
बेहतर बनाने की कसम खाते हैं
कुछ दिनो में सब भूल पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं
फिर नया साल आता है 
हम सब फिर वो ही सब दोहराते हैं
क्यूं न ऐसी कसम खायें जो निभा पायें
हर साल को पहले से बेहतर बना पायें........रमा

नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें 

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना नूतन वर्षाभिनन्दन अंक "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।

    ReplyDelete