पल पल कर साल गुजर जाते हैं
हम हर साल नये साल का स्वागत करते हैं
पुराने साल की गलतियों को भूल
नये साल में फिर वो ही दोहराते हैं
फिर वो ही दुख दर्द से गुजरते हैं
कुछ खुशियाँ भी बटोर लेते बैं
हर साल नये साल को
बेहतर बनाने की कसम खाते हैं
कुछ दिनो में सब भूल पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं
फिर नया साल आता है
हम सब फिर वो ही सब दोहराते हैं
क्यूं न ऐसी कसम खायें जो निभा पायें
हर साल को पहले से बेहतर बना पायें........रमा
नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें
आपकी लिखी रचना नूतन वर्षाभिनन्दन अंक "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।
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