साल सोलवां आ गया जीवन में फिर से इक बार
ये तो हो गया हम सब के साथ फिर से इक चमत्कार
आ जाओ कर लें मस्ती फिर से इक बार
तन को छोड़ो भर लो उंमग मन में फिर से इक बार
झूला झूलें, पाये कीकली झूम कर फिर से इक बार
भगा दो हर डर को मन से दुनिया का फिर से इक बार
मस्त समां है मस्त सोलवां साल मना लो फिर से इक बार
नहीं लौटना ये समय दोबारा कभी फिर से
भगवान नें भेज कर सोलवां साल फिर से
कर दिया हमें जवां फिर से इक बार
मत गंवाना ये साल डूब कर गमों में
नहीं मिलेगा ये मौका मस्ती का फिर से इक बार
नए उमंगों का साल, सोलहवां साल। सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 07 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteअवश्य
Deleteसुन्दर पंक्तियां ....
ReplyDeleteसादर आभार
Deletesundar rachna
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteसादर आभार
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