Thursday, October 22, 2015

कहाँ है राम



कल ईमान बिका था रावण का
आज रावण भी है बिक रहा 
हर गली हर चौराहे पर 
लगी है भीड़ जलानेवालों की
तब भी खतरे में रहता सदा 
सम्मान सीता का
क्यों नहीं होते खत्म ये रावण
हर साल जलाने पर भी
कहाँ है सोया ईमान राम का
लुटती है हर रोज कहीं न कहीं सीता
कहाँ छुपा बैठा है राम आज का

4 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (23.10.2015) को "शुभ संकल्प"(चर्चा अंक-2138) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!

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  2. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें !!
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सब को दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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