Saturday, August 29, 2015

परदेसी बहन और रक्षाबंधन





बहन दूर
हाथों में राखी लिये
तकती राह

भाई सोचता
कैसे जाउं विदेश
रक्षाबंधन

सूनी कलाई
देख रहा है भाई 
आंखे नम


आंखे भरी
बहन भी सोचती
कैसे जाउं


दोनो उदास
राखी भी उदास है
दूरियाँ घनी

बहना रोये
याद आये कलाई
सूनी भाई की
 

दूरियाँ बड़ी
परदेस की बात
कैसे सुलझे

दुआ करते
दोनो भाई बहन
तकते राखी

दूरियाँ मिटे
मिले भाई बहन
रक्षाबंधन


2 comments:

  1. राखी के पावन पर्व की......शुभकामनायें :))

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  2. आभार संजय जी, आपको भी हार्दिक शुभ कामनायें

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