नारी
ज़ख़्म खा कर भी मुस्कुरा दिया जाता है भारतीय नारी कह कर आजाद औरत को गुलाम बना दिया जाता है कहने भर से ही नहीं होती आज़ादी आजादी को साँसों में महसूस किया जाता है दो चार औरतो का नाम लेकर ... बाकी सब को भी आज़ाद घोषित किया जाता है काश समझती ये दुनिया आजादी और गुलामी के अंतर को तो शहीदों के बलिदान को यूँ राजनीति में बर्बाद ना किया जाता |
No comments:
Post a Comment