पल
गुज़रते पल
दे गये कुछ नया,
हर पल के साथ
जी लिया
कुछ नया
भूला दिया,
सब गमों के दर्द को
संजो लिया,
इक साहस नया
तकदीर से लेकर
रोना पोंछ दिया
हिमम्त की कलम से,
कुछ नया लिख दिया
जब सब बदल गये
हमने भी बदल लिया
खुद को
गुज़रते पलों से
कुछ पल चुरा लिये
कोई देखे न देखे
हम चुपके से
मुस्कुरा दिये
पास से गुज़रता
झोंका हवा का
भी महक गया
हमें भी कुछ
बहका गया
इक बार फिर
जीना सिखा गया
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति मन को छू लेने वाले उद्गारों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों का बाना पहनाया है आपने ... अति सुन्दर !
ReplyDeleteहार्दिक आभार संजय जी
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