ख्याल
अँधेरी रातो में चलती आंधियां
बुझते हुए दीयों में ख़तम होता तेल
डरावनी हवाओं की आवाज़े
डर को भगा जाती हैं
जब भी ऐसे में जब आता है
तुम्हारा ख्याल
इक दिया सा मन में जल उठता है
सड़क पर घूमते दरिन्दे भी
तब डरावने नहीं लगते
जब मन में हिम्मत बंधा जाता है
तुम्हारा ख्याल
तुम दूर हो कर भी पास हो
जानती हूँ तुम हकीकत नहीं बस एहसास हो
तब भी मन को धीरज बंधा जाता है
तुम्हारा ख्याल
गर तुम पास होते तो
शायद कुछ अलग हालात होते
तब मन में इतनी हिम्मत न होती
मैं भी इक कमज़ोर सी नारी ही होती
लेकिन ये तुम्हारा है एहसान
की मैं मज़बूत हूँ डरपोक नहीं
नारी होकर भी कमज़ोर नहीं
एहसान है बहुत की सदा साथ देता है
तुम्हारा ख्याल
ये बेवफा नहीं की साथ छोड़ जायेगा
रहे वफ़ा में हमें तनहा छोड़ जायेगा
ये तो वादे का पक्का है
सदा साथ रहता है मेरे
तुम्हारा ख्याल |
waah ji ....bahut khoob....!
ReplyDeleteहार्दिक आभार उपासना
Deleteएक ख्याल ही काफी होआ है कई बार ...
ReplyDeleteसहमत ....दिगम्बर जी ...आभार
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