Monday, October 27, 2014

माँ की याद

p
 
    आज नाँ याद आ रही है
जाने क्यो..!!!
वो मेरा रूठना
वो उनका मनाना
एक पल को भी
आंखे ओझल 
न होने देमा
तब मन तड़फड़ाता था
कही उड़ने को बेचैन 
अब हर वक्त
हर आज़ादी है
पर टोकने वाला को कोई नही
सही गलत बताने वाला
कोई नही
खुद राह चुनना है
खुद ही हर फैसला लेना है
माँ का आंचल भा
हज़ारो मील दूर है
जिसमे लिपट कर 
दों आंसू बहा सकू
खुद ही रूठती हूँ
खुद ही मान जाती हूँ
ज़िदगी चल रही है
मां तुम्हारी एक एक बात
मैरी पलकों में सजोयी है
काश इन यादों कों 
कहीं सेव कर पाती
जब जी चाहा देख तो पाती 
काश वो दिन फिर लौट आते.
MISS YOU MOM

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार- 29/10/2014 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 40
    पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,

    ReplyDelete
  2. ये यादें तो पहले से ही सेव की जा चुकी हैं -मन के डिस्क पर ,जब-तब उदित होगी और अपने में समेट लेंगी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. सच कहा आपने ..प्रतिभा जी ...सादर आभार

      Delete
  3. माँ की कमी शिद्दत से महसूस होती है हर पल ...
    यादों का ही संबल होता है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहमत हूँ आप से ....दिगंबर जी ..आभार

      Delete
  4. Dil ko chuti abhivyakti...bahut sunder !!

    ReplyDelete
  5. भावुक करती रचना। माँ को सलाम।

    ReplyDelete