नारी
सब कुछ सहती है नारी
फिर भी है क्यों
ताडन की अधिकारी
क्यूँ मर्दों को सब माफ़ है
ये कहाँ का इन्साफ है
क्यों मर्दों को
हर गुनाह माफ़ है
क्यों नारी को
नहीं मिलता इन्साफ है
जनम देती है वो
इन मर्दों को
क्या यही उसका गुनाह
नाकाबिले माफ़ है
अब और ज़ुल्म नहीं सहना है
इन मर्दों को भी
अब सब सहना है
अब नारी की बारी है
हिम्मत रख और जाग नारी
अब आई तेरी बारी है
बहुत सह लिए तूने ज़ुल्म
अब मर्दों की सहने की बारी है
सडको पर अब
बेईज्ज़त नहीं होगी नारी
अब बेईज्ज़त करनेवालों की
बेईज्ज़ती की बारी है |
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (08.08.2014) को "बेटी है अनमोल " (चर्चा अंक-1699)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteहार्दिक आभार राजेंदर जी
Deleteबहुत-खुब दी
Deleteहार्दिक आभार प्रिय डेज़ी
Delete".......नारी ताड़न के अधिकारी " तुलसीदास ने अपना गुस्सा पूरी नारी जाती पर निकाला |आज का समाज इसकी निंदा करता है | यदि कोई आदमी आज भी इसी विचार को रखता है तो निश्चित रूप से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है ! रचना अच्छी है |
ReplyDeleteआभार कालीपद जी
ReplyDeleteरोना तो नारी को ही पड़ा है , युग चाहे जो भी हो ..कल भी और आज भी
ReplyDeleteसुन्दर रचना हेतु बधाई रमा सखी | सादर
आभार मीना
Deleteएक ताड़ना शब्द पकड लिया समाज ने
ReplyDeleteबाकी जो हमारे वेदों मैं कहा गया है कि नारी पूजनीय है वो भूल गए
भूल गए कैसे सटी के अपमान पर शिव जी ने तीन लोक मैं हाहा कार मचा दिया था
सचाई समाज कि रमा
सच कहा आशा, आभार
Deleteआभार रूपचंद्र जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रतिभा जी
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