वक्त का हर शैय गुलाम
आभार पूर्णिमा दुबे जी
बेहद सुन्दर रचना
आभार संजय जी
सलाम। बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया हूं। व्यस्तताओं और उलझनों में फंसा मन आपकीकविता में इस कदर उलझ गया कि खुद को भूल गया। बहुत ही अच्छी कविता। बधाई।
हार्दिक आभार संजय जी
Very true mom
Thanks Akshit
बहुत सही कहा आपने
आभार मीना
बहुत खूब !
आभार सुशील जी
आभार अभिषेक
वक्त का हर शैय गुलाम
ReplyDeleteआभार पूर्णिमा दुबे जी
Deleteबेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार संजय जी
Deleteसलाम। बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया हूं। व्यस्तताओं और उलझनों में फंसा मन आपकीकविता में इस कदर उलझ गया कि खुद को भूल गया। बहुत ही अच्छी कविता। बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार संजय जी
DeleteVery true mom
ReplyDeleteThanks Akshit
Deleteबहुत सही कहा आपने
ReplyDeleteआभार मीना
Deleteबहुत खूब !
ReplyDeleteआभार सुशील जी
Deleteआभार अभिषेक
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