सीता को घर से निकाला जब
राम पुरूषार्थ कैसे हुये तब
यशोधरा को सोया छोड़ गये जब
बुद्ध भगवान कैसे हुये तब
द्रौपदी का भरी सभा में चीर हरण हुआ जब
पांडव मर्द कहाँ से हुये तब
अहिल्या को धोखे से लूट लिया
इंद्र देवता कैसे हुये तब
शकुंतला को प्यार का वादा कर के भूल गये
दुष्यंत राजा कैसे हुये तब
हर औरत पर ही क्यों ज़ुल्म होता है
अग्नि परीक्षा औरत को ही क्यों देनी पड़ती है
क्या इन सब मर्दो के गुनाह माफ हैं
रावण ने सीता का हरण किया
पर उसे छुआ नही
तब भी उसे सज़ा मिली और हर साल मिलती है
राम,बुद्ध, इंद्र, दुष्यंत क्या सब माफी के काबिल थे
एक को सज़ा बाकियों को माफी
ये कहाँ का इंसाफ है.
ये कहॉ का इंसाफ है....बहोत-खुब
ReplyDeleteआभार डेज़ी
Deleteएक -एक पंक्ति सही है
ReplyDeleteआभार संजय जी
Deleteबहुत सुंदर प्रश्न उठाती रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत
आभार राजीव जी
Deleteहार्दिक आभार
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