Saturday, February 22, 2014

यादें


    
    यादें कब जीने देती हैं 


यादें तो जीने के लिये होती हैं


कौन भूला है इन यादों को


कौन भुला पाया है इन यादों को


कौन बच पाया है इन यादों से


यादें जीने का सहारा होती हैं


यादें न हों तो जीना बेकार होता है


याद न करो इन यादों को 


यादें ही जिंदगी को मार डालती हैं


यादें ही जीवन को नया मोड़ देती हैं 


याद करो इन्हे प्यार से तो


सपनो में भी साथ रहती हैं यादें


याद करो गर रोकर इन्हे तो 


जीना मुहाल कर देती हैं यादें 

5 comments:

  1. हार्दिक आभार शास्त्री जी

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  2. हाँ, ऐसी ही होती हैं यादें

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  3. यादें .... जीने के लिए और जीने का सहारा भी होती हैं ... इन्हें रोकना मुमकिन नहीं ...

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