यादें कब जीने देती हैं
यादें तो जीने के लिये होती हैं
कौन भूला है इन यादों को
कौन भुला पाया है इन यादों को
कौन बच पाया है इन यादों से
यादें जीने का सहारा होती हैं
यादें न हों तो जीना बेकार होता है
याद न करो इन यादों को
यादें ही जिंदगी को मार डालती हैं
यादें ही जीवन को नया मोड़ देती हैं
याद करो इन्हे प्यार से तो
सपनो में भी साथ रहती हैं यादें
याद करो गर रोकर इन्हे तो
जीना मुहाल कर देती हैं यादें
हार्दिक आभार शास्त्री जी
ReplyDeletesach khaa...
ReplyDeleteहाँ, ऐसी ही होती हैं यादें
ReplyDeleteयादें .... जीने के लिए और जीने का सहारा भी होती हैं ... इन्हें रोकना मुमकिन नहीं ...
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDelete