Saturday, February 15, 2014

नारी हूँ


     

   जब  जब ज़िंदगी ने सताया

  सबसे अलग खुद को पाया

  चाह न रही किसी की

  खुद को सहारा बनाया

  अनजान थी राहें सारी

  उम्मीदे भी टूटी थी सारी

  इक नारी का क्यों इतना

   ज़माने ने तड़पाया

  हिम्मत नही हारी तब भी

  हर कदम पर दिये इम्तिहान

  हर कदम पर रोका रास्ता

  हर कदम पर नया रास्ता बनाया

  मैं नारी हूँ पर कमज़ोर नही

  ज़माने को साबित कर दिखाया

7 comments: