जब जब ज़िंदगी ने सताया
सबसे अलग खुद को पाया
चाह न रही किसी की
खुद को सहारा बनाया
अनजान थी राहें सारी
उम्मीदे भी टूटी थी सारी
इक नारी का क्यों इतना
ज़माने ने तड़पाया
हिम्मत नही हारी तब भी
हर कदम पर दिये इम्तिहान
हर कदम पर रोका रास्ता
हर कदम पर नया रास्ता बनाया
मैं नारी हूँ पर कमज़ोर नही
ज़माने को साबित कर दिखाया
बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआभार धर्मेन्द्र जी
Deletesahi baat hai aapki , naari ka koi nahi hota ...
ReplyDeleteसही कहा उपासना
DeleteAti bhaavpoorn rachnaa..
ReplyDeleteThanks Madhu sakhi
Deletebahut sunder
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