घर
कच्चे घरो के रिश्ते कितने पक्के होते थे
आज पक्के घर हैं रिश्ते कच्चे हो गए
पहले बंद दरवाज़े राज़ छुपाये होते थे
आज हर घर बंद है लेकिन राज़ खुले हैं
पहले खिडकियों पर परदे थे
आज पर्दों का रिवाज़ ही न रहा
पहले खुद से भी राज़ छुपाते थे
आज सब बाते नेट पर होती हैं
कोई राज़ नहीं रहा अब
सब सरेआम हो गया है
ना वो दर्द रहा न वो दर्द मंद रहे
हर बात का किस्सा आम हो गया
सुख कम हो गए
दुःख बेचारा सरेआम हो गया
जिधर देखो दर्द ही दर्द बिखरा है
मुस्कुराहट भी नकली हो गयी
नेट के बिना हर काम रुक गया है
अब तो जीना भी नेट का गुलाम हो गया
कच्चे घरो का काम तमाम हो गया
पक्के घरो में जीना हराम हो गया |
आभार राजीव जी
ReplyDeleteआभार राजीव जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 26/10/2013 को बच्चों को अपना हक़ छोड़ना सिखाना चाहिए..( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 035 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
आभार उपासना सखी
Deleteवक्त तो बदला हैं ....विकासोन्मुखी हो...
ReplyDelete“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
आभार अजय जी
Deleteसही कहा आपने .. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल रविवार दिनांक 27/10/2013 को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है .. कृपया पधारें औरों को भी पढ़ें |
ReplyDeleteआभार शालिनी जी
Deleteसही कहा आपने .. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल रविवार दिनांक 27/10/2013 को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है .. कृपया पधारें औरों को भी पढ़ें |
ReplyDeleteआभार शालिनी जी
Deleteवक्त ने ली करवट और इंसान खा गया मात ! आया संवेदनहीन बदलावट!
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
आभार कालीपद जी
Deleteपरिवर्तन निरंतरता का प्रतीक है।
ReplyDeleteआता है जो नेत्र-पंथ-गत वह भी कल मिट जाएगा
समय बदलता रहता है समय बदलता जाएगा
निश्चित ही परिवर्तन के साथ सुविधाओं के अम्बार लग गए हैं किन्तु आत्मिक असंतोष में बढ़ोत्तरी भी हुयी है। ऐसे ही तथ्यों को प्रतिपादित करती हुयी रचना के लिए हृदय से आभार। धन्यवाद।
आभार जय भारद्वाज जी
Deleteसुन्दर रचना।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : चित्तौड़ की रानी - महारानी पद्मिनी
अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Poverty Eradication Day)
आभार हर्षवर्धन जी
Deleteअच्छा लिखते हो ...
ReplyDeleteआभार सतीश जी
Deleteसटीक लेखन
ReplyDeleteआभार अरुण जी
Deleteekdum theek.
ReplyDeleteVinnie
हार्दिक आभार विन्नी जी
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