Wednesday, October 23, 2013

बेसहारा




कौन है सहारा

जिनका मैं थी सहारा

वो किसी और का सहारा हो गये

मैं बुड़िया बेसहारा हो गयी

सोचा न था

यूँ वक्त बदलेगा

अपना खून भी रंग बदलेगा

जिन्हे ज़िन्दगी माना था

वो मौत के सामने अकेला छोड़ गये

न प्यार का ध्यान आया

न उन सात फेरों का

मुझ बुड़िया से अपने ही 

मुँह मोड़ गये

मुझे बेसहारा कर गये

कोई दिल का रिश्ता भी न रूका

मेरा बुढ़ापा देख सब डर गये

याद आते हैं मुझे ही क्यो वो सब

जो वक्त आने पर रंग बदल गये

मुझ बुड़िया को बेसहारा कर गये


6 comments: