Monday, August 12, 2013

सूखा सावन



ये कैसा सावन आया

पेड़ो को सुखा गया

कोई फुहार न आई

ज़मीन बंजर हो गयी अब तो

इक बार तो बरस जाते

शायद कुछ पत्ते हरे हो जाते

एक फुहार तो पड़ जाती

ज़मीन कुछ नरम ही हो जाती

कभी सोचा न था 

कभी देखा भी न था

ऐसा सावन भी होता है

जो पेड़ो को सुखाता है

ज़मीन में दरारे डालता है

अगर सावन ऐसा है तो

मुझे कुछ और नही देखना है


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