इक पेड़ लगाया था
दोनो ने
मैंने सींच दिया है
अब आ जाओ
फल लगने लगे हैं
छाया भी घनी है
अब आ जाओ
चिड़ियों ने घोंसले बना लिये
पंछी भी बहुत आने लगे हैं
अब आ जाओ
अब और अकेले न सींचा जायेगा
फल भी अकेले न खा सकूंगी
अब आ जाओ
पंछी सब फल खराब कर देंगे
चिड़ियाँ भी उड़ जायेंगी
अपने बच्चे लेकर
अब आ जाओ
कहीं मेरा इंतज़ार दम न तोड़ दे
यहीं मेरी कब्र न बन जाये कहीं
अब आ जाओ
हमारे प्यार के पेड़ को
कब्र का पेड़ न बनाओ
अब आ जाओ
आभार अरुण जी ....
ReplyDeletegajab ki rachna ..
ReplyDeleteइक पेड़ लगाया था
दोनो ने
मैंने सींच दिया है
अब आ जाओ
shubhkamnaye ... .
आभार सुनीता जी
Deletebahut achhi rachna sakhi , dil ki gahraai tak chhu gayee...
ReplyDeleteआभार उपासना सखी
Deleteअब आ जाओ, सुंदर मनुहार ।
ReplyDeleteआभार आशा जी
Deleteकहीं मेरा इंतज़ार दम न तोड़ दे
ReplyDeleteयहीं मेरी कब्र न बन जाये कहीं
अब आ जाओ
हमारे प्यार के पेड़ को
कब्र का पेड़ न बनाओ
अब आ जाओ,....................सुन्दर, दिल तक पहुँची आप की रचना , बधाई
आभार मीना
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