सब ने ठुकराया था
तुमने भी ठुकरा दिया तो क्या हुआ
माँ तो सभी की मरती है एक दिन
तुमने अभी से मरा हुआ समझ लिया तो क्या हुआ
बस थोड़ी सी बची है जिंदगी
इसमें भी न मिलोगे तो क्या हुआ
जब अर्थी उठेगी मेरी तो सब होंगे
बस एक कोना खाली रह जायेगा तो क्या हुआ
माँ हूँ बददुआ तो दे नहीं सकती
तुम्हारी करनी पर दुआ ही दे दूंगी तो क्या हुआ
कभी याद अगर आये मेरी तो
कसम है आंसू मत बहाना
इस बद्नीब के लिए मुस्कुरा भी दोगे तो क्या हुआ
जब मेरी उमर में आओगे तब
मेरा दर्द समझ भी जाओगे तो क्या हुआ
दर्द देने वाले भी दर्द समझने लगे अगर तो क्या हुआ
ये दर्द तुम्हे ना मिले कभी
ये दुआ दे दूंगी तो क्या हुआ |
behad marmik.
ReplyDeleteआभार रीता जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआभार अरुण जी
Deleteमार्मिक दर्द ... एहसास
ReplyDeleteआभार एम् वर्मा जी
Deleteजब मेरी उमर में आओगे तब
ReplyDeleteमेरा दर्द समझ भी जाओगे तो क्या हुआ
सच.....तब पश्चाताप के सिवा कुछ हो भी नहीं सकता।
दिल की बात दिल तक पहुँची। बधाई !
आभार सुशीला जी
Deleteबहुत सुन्दर भावात्मक प्रभावी प्रस्तुति
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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हार्दिक आभार कालिपद जी
Deleteबहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।
ReplyDeleteआभार राजेंदर जी
Deletemarmik
ReplyDeleteआभार नीलिमा
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