आज जाने कैसे याद आई वो शाम
जब मिले थे हम
हरसिंगार के पास
वो खुशबू प्यार की थी
या हरसिंगार की
आज भी पता नहीं
बस वो पल हैं जेहन में
और फूलों की याद है
न भूल पाऊँगी कभी
न तुम्हारा प्यार
न हरसिंगार
आज भी चुन लेती हूँ
जहाँ भी देखती हूँ
ये फूल प्यार के
नहीं छोड़ पाती इस मोह को
न प्यार के
न हरसिंगार के
इनकी खुशबू से महक जाती है
अब भी मेरी हर शाम
आज भी इंतज़ार है
वैसी शाम का
जब तुम्हारा प्यार हो और
बस सिर्फ हरसिंगार हो
जब मिले थे हम
हरसिंगार के पास
वो खुशबू प्यार की थी
या हरसिंगार की
आज भी पता नहीं
बस वो पल हैं जेहन में
और फूलों की याद है
न भूल पाऊँगी कभी
न तुम्हारा प्यार
न हरसिंगार
आज भी चुन लेती हूँ
जहाँ भी देखती हूँ
ये फूल प्यार के
नहीं छोड़ पाती इस मोह को
न प्यार के
न हरसिंगार के
इनकी खुशबू से महक जाती है
अब भी मेरी हर शाम
आज भी इंतज़ार है
वैसी शाम का
जब तुम्हारा प्यार हो और
बस सिर्फ हरसिंगार हो
मन खुश हुआ हरसिंगार के हर रंग से...सुन्दर शब्द संयोजन...
ReplyDeleteआभार संजय जी ....आप की बहुत ही अच्छी सराहना का ..
Deleteवाह वाह !
ReplyDeleteरामाजी
...कमाल हैं आप भी !
बहुत सुंदर कविता के लिए हृदय से आभार और बधाई !
इससे पहले की कुछ प्रविष्टियां पढ़ने से छूट गई है पर समय मिलने पर जरूर पढूंगा
@ संजय भास्कर
आप का हार्दिक स्वागत है संजय जी ....
Deletebahut hi sunder rmaa ..hrsingar ke ful ki trh ....
ReplyDeleteतुम्हरे प्यार का और ब्लॉग पर आने का दिल से धन्यवाद आनंदी .....
Deleteबेहद खूबसूरत रचना रमा... सच में बड़ी शालीनता से पिरोया है एक एक लफ़्ज आपने... दिल से बरबस वाह निकलता है... इस सुंदर लेखन के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ रे.....
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