खत्म होने लगा अब दियों का तेल
जल गई बाती भी सारी
तुम ने खबर न ली अब तक
राख हो गई मैं भी सारी
दिया न जल पाएगा अब उम्मीद का
आस ही टूट गई अब तो हमारी
तुम्हे दिल दिया था नाजुक सा अपना
वो तो कदमो तले कुचल गया दुनिया के
तुम्हारी भी क्या गलती इस में
नजर नही आई थी हमें ये
स्वार्थो भरी भीड़ सारी
दुनिया कितनी दो रंगी है नही पता था
अब जानकर क्या करेंगे हम
जब निकल गई अरमानो की अर्थी सारी
कहाँ से लाऊं अब हिम्मत इंतजार की
अब तो बिखर गई मैं ही सारी
जल गई बाती भी सारी
तुम ने खबर न ली अब तक
राख हो गई मैं भी सारी
दिया न जल पाएगा अब उम्मीद का
आस ही टूट गई अब तो हमारी
तुम्हे दिल दिया था नाजुक सा अपना
वो तो कदमो तले कुचल गया दुनिया के
तुम्हारी भी क्या गलती इस में
नजर नही आई थी हमें ये
स्वार्थो भरी भीड़ सारी
दुनिया कितनी दो रंगी है नही पता था
अब जानकर क्या करेंगे हम
जब निकल गई अरमानो की अर्थी सारी
कहाँ से लाऊं अब हिम्मत इंतजार की
अब तो बिखर गई मैं ही सारी
बेहद मार्मिक भाव और साथ में चित्र भी .........बहुत खूब सखी रमा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उपासना सखी ..................
DeleteBahut Bhavpooran rachna hai ....
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मंजुल सखी ...
Deletebikhrne na dijiye in ummido ko.....
ReplyDeletekahte hai har raat ke baad ek savera hota hai....
सही कहा है तुमने गौरिका .....आभार
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