आज की कविता नन्ही दी के नाम
उनके लिये क्या कहूँ समझ नही आ रहा
बस चन्द शब्द लिखे उनके लिये
दी कुछ गलत लगे तो क्षमा करना.....
जुबां खामोश है तुम्हारी
होंठो सदा मुसकुराते हैं
लेकिन आंखे बोलती हैं
हर राज़ तुम्हारा खोलती हैं
दर्द छिपा लो सीने मे
आह दबा लो होंठो में
लेकिन तुम्हारी आंखे बोलती हैं
हर राज़ तुम्हारा खोलती हैं
सब का दर्द बाँटती हो
हर समय मुसकुराती हो
शहद सी मीठी बोली तुम्हारी
कोयल सी आवाज़ तुम्हारी
लेकिन दर्द छिपा सीने मे कितना
ये तुम्हारी आंखे बोलती हैं
हर राज़ तुम्हारा खोलती हैं
इतनी हिम्मत इतना प्यार
कहाँ से लाती हो
क्यों अपना दर्द छिपाती हो
लेकिन सब राज़ तुम्हारे
ये आंखे बोलती हैं
हर राज़ तुम्हारा खोलती हैं
प्यार सहित.....नन्ही दी
नन्ही दी से कहे हम भी उनके सच्चे दोस्तो मे है सदा उनके साथ
ReplyDeleteDhanywad Praveena sakhi.....aaj hi ph per kaha maine....aap se pehle aap ki baat...or wo aayi bhi gp me....
Deleteजी, बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद महेंद्र जी.....
Deleteसुन्दर भावनाएं...सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद....
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