जय हिन्द
देश हुआ था जब आजाद पर नियम थे विदेशियों के ही बने नियम तब जा कर हुआ छुटकारा विदेशियों से आज कदम कदम पर वोही नियम टूट रहे हैं हर मोड़ पर अपने ही अपनों को लूट रहे है कैसी आज़ादी पायी है हमने कैसा गणतंत्र देश बनाया है इससे तो अच्छे थे तब हम जब गुलाम थे विदेशियों के दिल में ये भ्रम तो था की गैर हम को लूट रहें है अपने होते तो ये हाल ना होता हमारा राज होता देश पर अपना कोई हाथ ना लगता बहु बेटियों को आज सब को सब कुछ भूल गया अपना ही अपने का दुश्मन बन गया है अपने पराये हो कर रह गए हैं परायों को अपना मान रहे हैं जिन विदेशियों को निकला था शहीदों ने दे कर कुर्बानियां आज उन्ही के स्वागत में घर घर हो रही हैं तयारियां अपनों की सुरक्षा को भूल कर विदेशियों की सुरक्षा में रात दिन एक हो रहा है आज बाड़ ही खेत को खा रही है ये कैसी आज़ादी दिनों दिन आ रही है बस दिखावा रह गया है वरना हर कोई फिर से गुलाम हो गया है जय हिन्द |
देश के ऐसे हालात के लिए हम सभी और आज की व्यवस्था ही जिम्मेवार है ...
ReplyDeleteआप से सहमत हूँ ....आभार दिगंबर जी
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