भाई
राखी का त्यौहार
और मन में उदासी
कैसी है ये बेबसी
चाह कर भी
खुश कैसे होऊं
लाखो मील दूर हूँ ...
दिल लेकिन
आज माँ के घर में
ध्यान हर पल वहीँ का
बचपन घूमता है
आँखों में
दिल सोचता है
क्या वहां भी
यही हाल होगा
क्या मुझे याद करते होंगे
भाई की कलाई सूनी होगी
या की फेसबुक मित्र ने
मेरी कमी दूर कर दी होगी
दिल से दुआएं निकलती हैं
आँखों से आंसू
दम घुटता है
कहना आसन है
लेकिन
परदेस में रहना
बहुत कठिन
जुग जुग जियो मेरे वीर
और मन में उदासी
कैसी है ये बेबसी
चाह कर भी
खुश कैसे होऊं
लाखो मील दूर हूँ ...
दिल लेकिन
आज माँ के घर में
ध्यान हर पल वहीँ का
बचपन घूमता है
आँखों में
दिल सोचता है
क्या वहां भी
यही हाल होगा
क्या मुझे याद करते होंगे
भाई की कलाई सूनी होगी
या की फेसबुक मित्र ने
मेरी कमी दूर कर दी होगी
दिल से दुआएं निकलती हैं
आँखों से आंसू
दम घुटता है
कहना आसन है
लेकिन
परदेस में रहना
बहुत कठिन
जुग जुग जियो मेरे वीर
bahut sundar.............
ReplyDeleteहार्दिक आभार डॉ संध्या जी
Deletebas jeunde vasde raho jithe vi ravo
ReplyDeleteTati va na lage mere veer nu
Bhaina di ehi dua
थैंक्स आशा ...सदा दोना दा वीर
Deleteबहु्त मार्मिक कविता है रमा जी । दिल को छू गया हर शब्द !!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...दिल को छूते अहसास...
ReplyDeleteहार्दिक आभार कैलाश जी
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