आज देश आज़ाद है मेरा
फिर क्यों दिल उदास है मेरा
देखी नहीं जाती सड़कों पर तबाही
क्यों सुरक्षित नहीं अपने ही देश में नारी
उन मासूम बच्चियों का कसूर क्या है
जिन्हे पैदा होने से पहले ही मिल जाती मौत की सजा है
हर घर में बेकारी है
हर कोने में सिसकती नारी है
ये कैसी आज़ादी है
उन मासूमों का क्या कसूर
जिन से बाल श्रम करवाया जाता है
स्कूल की जगह उन से दिन रात काम करवाया जाता है
हर तरफ क्यों फैलता जा रहा आंतक है
क्यों हम अपने ही देश में आज़ाद 'गुलाम' हैं
हर ओर इक सहमी सी खुशी है
कौन जानता है मौत किस कोने में छुपी है
हार्दिक आभार यशोदा जी
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक प्रस्तुति। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआभार राजेंदर जी
Deleteसार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार अनुषा जी
Deleteसटीक प्रश्न
ReplyDeleteआभार ओंकार जी
Deleteउम्दा सार्थक प्रस्तुति ... जय hind
ReplyDeleteआभार सुनीता जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना ..बधाई सखी
ReplyDeleteआभार मीना
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