Sunday, May 25, 2014

कर्म और फल





आज सपने में 
मुलाकात हो गई
मेरे प्रभू और राधा
दोनो थो़े
एक साथ
मैंने भी से़ोचा
आज अच्छा मौका है
पूछ लूं दिल की बात
मेरे पूछने से पहले ही
प्रभू मुस्कुराये और
बांसुरी बजानी 
शुरू कर दी
मैं हतप्रभ
क्या कहूं
तो उनकी ओर देख
राधा जी बोली
कुछ मत सोच
सौंप दे खुद को
प्रभू के हवाले
अंतरयामी से 
तू क्या पूछेगी
तेरा प्रशन वो 
जानते है
विशवास रख
और अडिग हो जा
जहाँ तू कमज़ोर पड़ी
प्रभू कमज़ोर पड़ जायेंगे
जा और
अपना कर्म कर
प्रभू फल देंगें
मैने फिर कौतुहल से
प्रभू को देखा
प्रभू बोले
सत् कर्म और
सति की प्रार्थना
मैं भी नही ठुकरा सकता
लोग कर्म मनचाहा 
करते हैं और
फल भी मनचाहा चाहते है
तू सब से 
अलग बन
हिमम्त रख
और दुनिया बदल कर 
दिखा सब को
जब कर्म अच्छे हों
तो मैं कौन होता हूँ
तुझसे तेरे कर्मों
का फल छीनने वाला
मैं हैरान
आंख खुल गई
कानो में अब भी 
बासुंरी की धुन सुनाई
पड़ रही थी..

8 comments:

  1. बहोत-सुंदर
    कानो मे अब भी बांसुरी की धुन सुनाई दे रही थी...

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अक्ल का इक्वेशन - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आप को बहुत धन्यवाद इस बांसुरी की धुन सुनाने का। सुंदर रचना।

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  4. तू सब से
    अलग बन
    हिमम्त रख
    और दुनिया बदल कर
    दिखा सब को
    जब कर्म अच्छे हों
    तो मैं कौन होता हूँ
    तुझसे तेरे कर्मों
    का फल छीनने वाला
    sunder bhav
    rachana

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