आज सपने में
मुलाकात हो गई
मेरे प्रभू और राधा
दोनो थो़े
एक साथ
मैंने भी से़ोचा
आज अच्छा मौका है
पूछ लूं दिल की बात
मेरे पूछने से पहले ही
प्रभू मुस्कुराये और
बांसुरी बजानी
शुरू कर दी
मैं हतप्रभ
क्या कहूं
तो उनकी ओर देख
राधा जी बोली
कुछ मत सोच
सौंप दे खुद को
प्रभू के हवाले
अंतरयामी से
तू क्या पूछेगी
तेरा प्रशन वो
जानते है
विशवास रख
और अडिग हो जा
जहाँ तू कमज़ोर पड़ी
प्रभू कमज़ोर पड़ जायेंगे
जा और
अपना कर्म कर
प्रभू फल देंगें
मैने फिर कौतुहल से
प्रभू को देखा
प्रभू बोले
सत् कर्म और
सति की प्रार्थना
मैं भी नही ठुकरा सकता
लोग कर्म मनचाहा
करते हैं और
फल भी मनचाहा चाहते है
तू सब से
अलग बन
हिमम्त रख
और दुनिया बदल कर
दिखा सब को
जब कर्म अच्छे हों
तो मैं कौन होता हूँ
तुझसे तेरे कर्मों
का फल छीनने वाला
मैं हैरान
आंख खुल गई
कानो में अब भी
बासुंरी की धुन सुनाई
पड़ रही थी..
बहोत-सुंदर
ReplyDeleteकानो मे अब भी बांसुरी की धुन सुनाई दे रही थी...
आभार डेज़ी
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अक्ल का इक्वेशन - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार ब्लाग बुलेटिन
Deleteआप को बहुत धन्यवाद इस बांसुरी की धुन सुनाने का। सुंदर रचना।
ReplyDeleteआभार आशा जी
Deleteतू सब से
ReplyDeleteअलग बन
हिमम्त रख
और दुनिया बदल कर
दिखा सब को
जब कर्म अच्छे हों
तो मैं कौन होता हूँ
तुझसे तेरे कर्मों
का फल छीनने वाला
sunder bhav
rachana
आभार रचना बहन
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