bahut khub...
आभार गौरी बिटिया
चाँद रात और मैं .......बहुत बहुत सुंदर
आभार उपासना सखी
उत्तम ।
आभार सुनीता जी
superbb
आभार नीलिमा
तब चांदनी तुम थीबस आज चांदनी है......मैं चकोर बनकर जी लूंगातुम मेरा चांद बन जाना !!!बहुत ही भावुक पंक्तियां. पूरी पंक्तियां विरह के मर्म को, दर्द को, विरहाग्नि को परिभाषित करती हुईं. बहुत गंभीर और जितनी स्वतः उतनी सुन्दर पंक्तियां. बधाई.
सादर आभार ऋतुपर्ण जी
Outstanding...
आभार राहुल जी
bahut khub...
ReplyDeleteआभार गौरी बिटिया
Deleteचाँद रात और मैं .......बहुत बहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार उपासना सखी
Deleteउत्तम ।
ReplyDeleteआभार सुनीता जी
Deletesuperbb
ReplyDeleteआभार नीलिमा
Deleteतब चांदनी तुम थी
ReplyDeleteबस आज चांदनी है......
मैं चकोर बनकर जी लूंगा
तुम मेरा चांद बन जाना !!!
बहुत ही भावुक पंक्तियां. पूरी पंक्तियां विरह के मर्म को, दर्द को, विरहाग्नि को परिभाषित करती हुईं. बहुत गंभीर और जितनी स्वतः उतनी सुन्दर पंक्तियां. बधाई.
सादर आभार ऋतुपर्ण जी
DeleteOutstanding...
ReplyDeleteआभार राहुल जी
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