Wednesday, August 1, 2012

बचपन और राखी

राखी

जब मै  छोटी थी तो मेरे डैडी मिठाई ओ लाते थे घर में और राखी भी ,जब मै  अपने छोटे भाई गोल्डी को बांधती तो डैडी उसे पैसे देते मुझे देने के लिए लेकिन वो नहीं लेता और अपनी जेब से २५ या ५० पैसे निकाल कर देता ,जब मै  ज्यादा पैसे मांगने के लिए रूठती तो कहता तू तो डैडी के पैसो से राखी लायी है मै  तो अपनी पॉकेट मोनी से दे रहा हूँ ,अगले साल मैंने भी पैसे जोड़े और खुद राखी खरीद कर लायी और मेरे शैतान भाई ने फिर उतने 
 ही पैसे दिए मुझे ,मई रोने लगी की मुझे ज्यादा पैसे चाहिए ,मै  खुद राखी लायी हूँ ,तो कहने लगा की अपनी राखी का साइज़ देख पैसे भी उसी हिसाब से मिलेंगे ,मैंने उससे अगले साल और महंगी  और बहुत बड़ी राखी लायी ,उसने फिर मुझे उतने ही पैसे दिए ,मै  फिर रोई और शिकायत की डैडी से तो बड़ी मासूमियत से बोला ,डैडी मई इसे ज्यादा पैसे कैसे दू ,फिर तो ये बुआ जी के बराबर आ जाएगी ........और हर साल हमारा यही झगडा चलता रहता ,डैडी मुझे बहलाने के लिए अपने पास से चुप चाप पांच रुपे दे देते और मै  मन मसोस कर ले लेती की भाई तो कंजूस है लेकिन मेरे डैडी को मेरे राखी के खर्चे का ख्याल है ......
आज वक़्त कितना बदल गया है ,मुझे २४ साल हो गए भाई को राखी बांधे हुए ,और डैडी तो कब के छोड़ कर चले गए .....बहुत तन्हाई महसूस होती है आज के दिन .....लेकिन एक बार मई राखी वाले दिन इंडिया गयी थी तो पता चला भाई उस वक़्त बंगकोक गया हुआ है ,और फिर एक बार वो मेरे पास आया जापान राखी के दिन ,सिर्फ कुछ घंटो के लिए ,मई ख़ुशी में इतनी दीवानी हो गयी की कुछ सूझ ही नहीं रहा था,उसे क्या क्या खिलाऊं क्या क्या करू ,बिलकुल बावरी हो गयी थी और वो मुझे देख कर मुस्कुराता रहा और जाते वक़्त उसने मुझे पैसे दिए जब plane के अन्दर जाने लगा था ,तब मुझे याद आया की मई तो ख़ुशी में राखी बांधना ही भूल गयी ,बहुत कहा की चल कोई धागा ही बंधवा ले लेकिन उस ने मन कर दिया की ये कोई दिखावा थोड़ी है ,मुस्कुराते हुए कहने लगा की आज के दिन तुझे तंग तो करना था और वैसे ये पैसे मम्मी ने भिजवाए हैं वरना मई तो अब भी उतने ही देता ........मिस यू ......भगवान् करे आज तू जहाँ भी हो खुश हो ,मेरी उमर भी तुझे लग जाए ,.......मिस उ गोल्डी ......रमा 

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