Monday, July 30, 2012

मन की बात

जा

मेरे मन के पंख लगा कर उड़ जा

मेरे मन का संदेसा उन तक पहुंचा आ

कहना उनसे मेरे मन की हर बात

बताना उन्हें मेरे दिल की हर याद

सुनाना  उन्हें मेरे दिल की हर धडकन की बात

दिखाना उन्हें मेरी आँख का हर आंसू

बताना उन्हें मेरी तन्हाई की हर बात

देखना कहीं कुछ भूल न जाना

याद रखना मेरी आहों को

याद करवाना उन्हें उनके वादे की बात

दिखाना उन्हें इस चांद को और

बता देना मेरी हर रात के सन्नाटो की बात

कुछ भूल जाए अगर तो इस चांद से पूछ लेना

ये गवाह है मेरी हर बात का

तुझे कसम है आज जरुर पहुँचाना

उन तक मेरे मन की बात  

10 comments:

  1. बहुत सुंदर सन्देश

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  2. अपनी कसम दी है...संदेसा पहुंचा समझो....
    और ऐसा प्यारा सन्देश????
    स्वागत की तैयारियाँ करिये..

    अनु

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  3. बहुत बढ़िया .....मन से मन को राह होती है जरुर पहुँच गयी होगी

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  4. दिल की बात किस्से कही आपने रमाजय जी ....?

    बादलों से , हवा से या मुझ से ....:))

    बहुत अच्छी नज़्म .....

    बधाई !!

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    1. धन्यवाद हरकीरत जी ....जो समझ जाये उसे ही कही है दिल की बात ....

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  5. बहुत बढ़िया रमा जी .

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    1. हार्दिक धयवाद अरुणा सखी ....

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