Wednesday, July 11, 2012

टुकड़े

आसमान

आज हर रिश्ते के टुकड़े कर दिए

हर घर टुकडो में बंट गया

जिस जमीं पर  रहते हैं

उसे भी टुकडो में बाँट दिया

शुक्र है खुदा का

आसमान तक नहीं पहुंचा कोई

वरना आसमान के भी टुकड़े हो गये होते  

8 comments:

  1. बहुत सही बात कही आप ने

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  2. ....बहुत सच कहा है...बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति

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  3. हार्दिक आभार संजय जी .....आप की टिपण्णी की प्रतीक्षा रहती है .....आभार

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  4. waah kya baat hai ......
    ati sundar rachna.....

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  5. Sahi prastutikaran manavta ki sachchai ka....
    Shukr hai aasman tak nhi pahuche...

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