दिल
तेरी चाहत में दिल हैरान सा है
लबों पर मुस्कराहट
दिल बेचैन सा है
कौन सा लम्हा है ऐसा
जब न तुझे याद किया
जुबान खामोश रही
आँखों ने बोलना चाहा
तुम बस चेहरा देखते रहे मेरा
काश नैनो की भाषा पड़ लेते
तो आज हालत मेरी कुछ और होती
आँखे बोलती या न बोलती फिर
लेकिन जुबान कभी न खामोश होती
दे दो मेरी जुबान को बोल
पड़ लो मेरे नैनो की भाषा
बस यही तमन्ना है मेरी
कर दो पूरी मेरी आशा |
बहुत अच्छा लिखा और कहा भी ........!
ReplyDeleteआभार उपासना सखी
Deleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार संजय जी
DeleteJo naino ki bhasha samjh gya use adhro ki bhasha ki jrurat nahi...aur insaan wahi jo naino ki bhasha pad le...
ReplyDeleteadhro ki bhasha to har koi samjh leta hai....