आज फिर याद आ गया
मुझे वो वो बचपन मेरा
पापा का प्यार और दुलार
मेरा भागना मेरी शैतानियाँ
और उकनके पकड़ लेने पर
मचल जाना पापा की बांहों में
नहीं जानती तब उन के डर को
सोचती थी मेरे गिरने से
डर जाते हैं पापा
नहीं जानती थी तब
कुछ नहीं समझ पाती थी
क्यों मेरे पीछे भागते हैं
क्यों जर कर सीने से लगाते हैं
तब नहीं समझती थी
कि चोट मुझे लगती थी
और दर्द उन्हे होता था
पर आज सब समझती हूँ
पर आज वो मेरे पास नहीं
मेरे साथ नहीं
आज जब दुनिया मुझे सताती है
हर बात पर रूलाती है
अगर पापा आज होते तो
क्या सब ऐसा कर पाते मुझसे
अब तो कितनी बार गिरती हूँ
कितनी चोटें खाती हूँ
फिर खुद ही खुद को संभाल लेती हूँ
दवा भी खुद लगाती हूँ
आंसू भी अपने खुद ही पौंछती हूँ
अब कोई हाथ नहीं आता संभालने
कोई नहीं गले से लगाता
काश पापा फिर से आ जाते
काश मैं फिर से बच्ची बन जाती
काश ........,
Ati sunder ..
ReplyDeleteअब तो कितनी बार गिरती हूँ
खुद ही उठ जाती हूँ...
Dhanywad Manju ji
Deleteबहुत ह्रदय स्पर्शी .......
ReplyDeleteHardik dhanywad Upasna sakhi
DeleteKaash.....mere bhi papa phir se aa jate.........:)
ReplyDeletejanewale kab lautate hain gaurika bitiya .....bas aaden hi reh jati hain tadpane ke liye
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