Friday, May 25, 2012

हम ने तो....

आज किसकी याद आई  फिर से
हम ने तो सब भुला दिया था
ये आंसू कैसे आ गये फिर से
इन्हे तो कब का बहा दिया था


 कैसे दिल को आज मनाऊँफिर
इसे  कब का बहला लिया था
यादें तो जाती नही दिल से
हम ने तो इन्हें समझा लिया था


अब तू ही रास्ता दिखा मुझे
हम ने तो इन गलियों को भुला दिया था
वो ही जान का दुश्मन बन बैठा
जिस पर  सब कुर्बान कर दिया था

नही पता था अब छुपा बैठा है
दिल  में अब तक मेरे
हम ने तो तुम  पर कब का
दिल भी गवां दिया था



दम घुटा  जाता है अब सीने में मेरे
हम ने तो सब तुझे सौंप दिया था
अब मार या  बचा मर्ज़ी है तेरी
हम तो बैठे हैं अब भी इंतज़ार में तेरे


7 comments:

  1. लगता है आज कोई छिपी हुई खिड़की ,दिल की खुल गयी है.बहुत खूब.....

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  2. मन की खिड़कियाँ बंद कब होती हैं रीता जी ......आभार

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  3. बहु खूब रमा जी -
    क्यूँ दिखते हो यूँ कमजोर
    देखो फिर से नभ की ओर

    तारे जहाँ सदा हँसते हैं
    और चमकता चंदा
    जीओगे इनके जैसा तो
    टूटेगा हर फंदा
    सूरज आग उगलता फिर भी
    लेकर आता नूतन भोर

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  4. दिल को छू गयी .........

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