आज किसकी याद आई फिर से
हम ने तो सब भुला दिया था
ये आंसू कैसे आ गये फिर से
इन्हे तो कब का बहा दिया था
कैसे दिल को आज मनाऊँफिर
इसे कब का बहला लिया था
यादें तो जाती नही दिल से
हम ने तो इन्हें समझा लिया था
अब तू ही रास्ता दिखा मुझे
हम ने तो इन गलियों को भुला दिया था
वो ही जान का दुश्मन बन बैठा
जिस पर सब कुर्बान कर दिया था
नही पता था अब छुपा बैठा है
दिल में अब तक मेरे
हम ने तो तुम पर कब का
दिल भी गवां दिया था
दम घुटा जाता है अब सीने में मेरे
हम ने तो सब तुझे सौंप दिया था
अब मार या बचा मर्ज़ी है तेरी
हम तो बैठे हैं अब भी इंतज़ार में तेरे
हम ने तो सब भुला दिया था
ये आंसू कैसे आ गये फिर से
इन्हे तो कब का बहा दिया था
कैसे दिल को आज मनाऊँफिर
इसे कब का बहला लिया था
यादें तो जाती नही दिल से
हम ने तो इन्हें समझा लिया था
अब तू ही रास्ता दिखा मुझे
हम ने तो इन गलियों को भुला दिया था
वो ही जान का दुश्मन बन बैठा
जिस पर सब कुर्बान कर दिया था
नही पता था अब छुपा बैठा है
दिल में अब तक मेरे
हम ने तो तुम पर कब का
दिल भी गवां दिया था
दम घुटा जाता है अब सीने में मेरे
हम ने तो सब तुझे सौंप दिया था
अब मार या बचा मर्ज़ी है तेरी
हम तो बैठे हैं अब भी इंतज़ार में तेरे
लगता है आज कोई छिपी हुई खिड़की ,दिल की खुल गयी है.बहुत खूब.....
ReplyDeleteआभार रीता जी
Deleteमन की खिड़कियाँ बंद कब होती हैं रीता जी ......आभार
ReplyDeleteबहु खूब रमा जी -
ReplyDeleteक्यूँ दिखते हो यूँ कमजोर
देखो फिर से नभ की ओर
तारे जहाँ सदा हँसते हैं
और चमकता चंदा
जीओगे इनके जैसा तो
टूटेगा हर फंदा
सूरज आग उगलता फिर भी
लेकर आता नूतन भोर
आभार श्यामल भाई
Deleteदिल को छू गयी .........
ReplyDeleteहार्दिक आभार उपासना सखी
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