तुम्हारी इन मतवारी आँखों में
नज़रे मत झुकाओ अपनी आज
बड़ी मुद्दत के बाद ये नज़र आया मुझे
तुम दूर थे तो जीवन भी सूना हो गया था
तुम आये तो जीवन में बहार आ गयी फिर से
कोई देख न ले हमारी मुस्कराहट को
आओ छुप जाएँ कहीं पर दोनों
बहुत बेदर्द जहाँ है ये अब जान गयी हूँ
या तो मुझे छिपा लो या तुम खो जाओ मुझ में
ये बगिया है हम दोनों के प्यार की
रौंदी न जाये कहीं लोगो की नजरो से
चलो चाँद पर बसा ले इस बगिया को
वहां तो कोई नहीं आ पायेगा देखने
खो जायेंगे इक दूसरे में दोनों
फिर कोई नज़र कैसे लगा पायेगा
aaj fir wo hi pyar najar aya tumhari aakhoo me
ReplyDeleteधन्यवाद और प्यार अनु
Deleteबहुत सुन्दर सखी .......
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उपासना सखी
Deleteउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रस्सन जी
Deleteवाह !बहुत खूब......लग रहा है बहुत दिनों के बाद प्रियतम से मुलाकात हुई है.....भावनाओं की अच्छी -सच्ची अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteधन्यवाद रीता जी
Deleteतुम आये तो आया मुझे याद गली में आज चाँद निकला,जाने कितने दिनों के बाद....
ReplyDeleteवाह क्या मिलाया है ....रीता सखी
Deleteवो आए तो फिर रमा खुशियाँ सभी समेट
ReplyDeleteवह पल अनुपम है सुमन जब प्रियतम से भेंट
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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हार्दिक आभार श्यामल भाई
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