काश वो बचपन आ जाये फिर से
सखियाँ हो और वो ही शरारते हो
फिर से खेले मिलजुल कर सब
वो माँ की डांट हो
वो भाग कर छिपना हो
फिर भाग कर चिड़ाना हो
वो ही ज़मीन पर बिछी
लकीरे हो और वो ही
कडकती धुप में शातापू हो
और कुछ याद न आये
ना जिन्दगी की भाग दौड़
ना किसी के ताने तुनके
ना पैसो की चिंता हो
ना नौकरी का डर हो
काश वो बचपन
फिर से लौट आये
dil ko choo gayi...
ReplyDeleteDhanyawad....
Deleteनहीं आता लौट कर फिर से बचपन ..............लेकिन एक बचपना या बचपन अपने मन में कहीं छुपा तो है ही ............bahut sunder
ReplyDeleteDhanyawad Upasna sakhi.....aap ki baat bilkul theek hai.....
ReplyDeletesach kaha bachpan to piche chut gya
ReplyDeleteBachpan to peechhe chhut jata hai ....lekin bachpana kahin ander chuupareh jata hai.....waqt bewaqt hame jagane lagta hai....Dhanyawad Agniman ji
ReplyDeletebachpan kahaan laut ke aata hai?... magar bachpana jata bhi kahaan hai?.. kabhi kabhi to bachkani harkaten ho hi jati hain... bachpan par likhi gayi ye rachna padhiyega...
ReplyDeletehttp://praveshbisht.blogspot.in/2011/11/blog-post_16.html
ठीक कहा आपने प्रवेश जी.....बचपना नही जाता....
ReplyDeleteबस बचपन चला जाता है
रामाजय शर्मा जी बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है आप की बचपन पर
ReplyDeleteकाश वो बचपन आ जाये फिर से
सखियाँ हो और वो ही शरारते हो
फिर से खेले मिलजुल कर सब
.............मेरे अल्फाज कुछ यूँ है बचपन पर
मेरा बचपन
कब छोड़ चला वो बचपन मुझको,
मुझको कुछ भी याद नहीं
क्या मांगू अब किसे पुकारूँ,
सुनता कोई फरियाद नहीं
नादानी थी ऊपर मेरे,
चाँद की मै हठ कर बैठा
रूठ गया है बचपन मुझसे,
तब से खोया सा मै रहता
रिमझिम बादल बरस पड़ते थे,
नौका कागज की मैं खेता
तितली जुगनू खेल खिलाते,
थक हार कर तब मैं सोता
कब छोड़ चला वो बचपन मुझको,
मुझको कुछ भी याद नहीं
क्या मांगू अब किसे पुकारूँ,
सुनता कोई फरियाद नहीं ............ रचना-राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
कृपया कभी समय मिलेगा तो हमारे ब्लॉग पर भी आपनी उपस्थिति दीजियेगा
http://bikhareakshar.blogspot.in/
नोट : कृपया आपने ब्लॉग से वर्ड वेरिविकेशन को रेमुभ कीजियेगा ...कमेन्ट करने में काफी दिकत आती है .......ज्यादातर लोग ''वर्ड वेरिविकेशन'' की वजह से कमेन्ट नहीं कर पाते हैं , ''वर्ड वेरिविकेशन'' न होने से आप की पोस्ट पर ज्यादा कमेन्ट और ज्यादा विजिटें आएँगी
आपके सुझाव का और सराहना का हार्दिक धन्यवाद... मै जरूर देखूंगी आपका ब्लाग... बहुत सुंदर लिखा है आपने....
Deleteबचपन के सुखद एहसासों को बड़े प्यारे अंदाज से पिरोया है रमा आपने... मानते हैं ये लौट के नहीं आता पर मन से इस बचपन को कभी तज ना देना....
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deletesundar..
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteआपकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDelete--
आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल सोमवार (24-03-2014) को ''लेख़न की अलग अलग विद्याएँ'' (चर्चा मंच-1561) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
काश ऐसा हो पाता!
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
बढ़िया प्रस्तुति , आ० रामाजय जी धन्यवाद व स्वागत है मेरे लिंक पे
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ प्राणायाम ही कल्पवृक्ष ~ ) - { Inspiring stories part -3 }