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Saturday, December 19, 2015

साल जाता रहा




कुछ बिछड़े 
कुछ मिले
चलते रहे
ये सिलसिले
बस यूं ही
समय 
गुजरता रहा
इक साल जाता
तो इक आता रहा
कुछ बातें
अच्छी हुईं
कुछ ने
तोड़ा दिल
बस यही सिलसिला
साल दर साल
चलता रहा
करते रहे हम
नये साल का
स्वागत
अंत में 
उसे भूल
आने वाले वर्ष की
मनौतियाँ
मनाते रहे
ये सिलसिला
कभी नहीं टूटना
इक साल आना है
इक चले जाना है
कभी खुशी
कभी शोक मनाना है

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