दिल की बातें
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Thursday, December 17, 2015
दिल की बात
कलम चली
बह चलें शब्द
रोकूं कैसे
दिल की बातें
कब सुनता कोई
कड़ुवा सच
रंगीन बातें
भाती हैं दुनिया को
सच्ची है बात
कड़ुवा सच
कौन सुनता यहाँ
कठोर सत्य
1 comment:
रमा शर्मा, जापान
August 1, 2016 at 1:06 PM
सादर आभार
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