दुलहन |
उमर न थी मेरी
और
दुल्हन बना दी गयी
आँखों में नींद थी
सपने सजा दिए गए
माथा छोटा था
बड़ी सी बिंदिया सजा दी गयी
सादा से कपडे थे
रेशमी पहना दिए गए
रोकर पूछा
ये क्या हो रहा है
डांट कर आवाज़ बंद करवा दी गयी
एक डोली आई द्वार पर
बिना पूछे ही बिठा दिया गया
मै चिल्लाई
मेरा स्कूल
कस कर आवाज़ को दबा दिया गया
कुछ न साझ पायी थी
की डोली कही उतार दी गयी
कौतुहल से बहार देखा
घूँघट खिंच कर
दो गाली दे दी गयी की
कितनी बेशर्म बहु है
मै हैरान हो गयी
ये बहु कौन है
मै तो छुटकी हूँ
बाहर निकली तो कुछ समझ न आया
दो दिन कमरे में भूकी रही
पूछा गया कौन है तू
सहमी सी बोली
दुल्हन
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