चाँद चाँद आया संग लाया कुछ सपने कुछ तूफ़ान कुछ मुस्कुराहटें कुछ उदासियाँ कुछ यादें कुछ हकीकते ऐसा तूफ़ान ऐसी रात मुद्दतों के बाद आई कुछ बेचैनियाँ कुछ राहते संग लायी कितनी लम्बी कितनी काली कितनी सूनी कितनी डरावनी कितनी अकेली रात आई कैसे कटेगी ऐसी रात कितनी अजीब है ये रात
कुछ सपने, कुछ तूफान, कितनी काली, कितनी सूनी, कितनी डरावनी, कितनी अकेली, रात आई, कैसे कटेगी, ऐसी रात, कितनी अज़ीब है ये रात...........बहुत ही भावुक पंक्तियां....पूरी रचना ही संवेदनाओं के धरातल पर आशा का एक प्रस्फुटन. बहुत ही सुन्दर रचना. बधाई.
I will too try poetry writing
ReplyDeleteआभार संजय जी
Deleteकुछ सपने,
ReplyDeleteकुछ तूफान,
कितनी काली,
कितनी सूनी,
कितनी डरावनी,
कितनी अकेली,
रात आई,
कैसे कटेगी,
ऐसी रात,
कितनी अज़ीब
है ये रात...........बहुत ही भावुक पंक्तियां....पूरी रचना ही संवेदनाओं के धरातल पर आशा का एक प्रस्फुटन. बहुत ही सुन्दर रचना. बधाई.
सादर आभार ऋतुपर्ण जी
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